Showing posts with label brothers. Show all posts
Showing posts with label brothers. Show all posts

Tuesday, April 14, 2020

True Story of Sadqah Abdul Rahman Bin Auf


आज मैं एक ऐसा तारीख से बताता हु। 
बात उस वक़्त की है जब, उम्र रजि  अल्लाह खलीफा थे और मदीना में बदतरीन कहद ( Draught ) था। अब्दुल रहमान बिन ऑफ रजि अल्लाह का तिजारती काफिला आ रहा था।  तकरीबन ५०० से ७०० ऊंट इस काफिले में थे। खाने का सामान था इसमें। जब काफिला मदीने से करीब पंहुचा तो लोगो ने बड़ी कीमत पर उसे खरीदना चाहा और अब्दुल रहमान बिन ऑफ रजि अल्लाह ने मना कर दिया। 
इस बहोत बड़े काफिले का मदीना के गलियों में शोर हुआ तो अम्मा आयेशा रजि अल्लाह ने पूछा की यह किस चीज़ का शोर है , खद्दामा ने बताया की अबुल रहमान  बिन ऑफ रज़ि अल्लाह का तिजारती काफिला आया है।
अम्मा आयेशा रज़ि अल्लाह ने फ़रमाया , मैंने अल्लाह  रसूल सल्ललाहो  अलैहि वस्सलाम से सुना है जिस तरह यह काफिला मदीने में  आवाज करता हसी ख़ुशी आ रहा है और हर तरफ उसे खुश आमदीद कहा जा रहा है उसी तरह  अब्दुल रहमान बिन ऑफ रज़ि  अल्लाह जन्नत में दाखिल होंगे।  ( लिट्रल ट्रांसलेशन) यह बात किसी ने अब्दुल रहमान रज़ि अल्लाह को बताई , और जब उन्होंने सूनी  अम्मा आयेशा रज़ि अल्लाह के पास आये और बात की तस्दीक़ की , और जन्नत बशारत की ख़ुशी में अपना पूरा काफिला बैतूल माल को सदक़ा किया ताकि गरीबो  में तक़सीम किया जा सके।
क़ुरान में अल्लाह अज्जो व जल्लो फरमाता है ,
इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा ने मोमिनीन से उनकी जानें और उनके माल इस बात पर ख़रीद लिए हैं कि (उनकी क़ीमत) उनके लिए बेहष्त है  जन्नत  ९:१११
भाइयो हम सख्त हालात से गुजर  रहे है , इस दौर में अपने हिसाब से अपने भाई की मदद करे , कोई भी भूखा नहीं सोये , कोई बच्चा खाने की लिए नहीं रोये इसका पूरा ख्याल रखे। 
ज्यादा से ज्यादा सदक़ह करे, अल्लाह का वादा है  , वह दुनिया और आख़िरत बेहतर अजर ने नवाजेगा, अल्लाह के खजाने में कोई कमी नहीं है  , आप दिल खोल के खर्च करे।
क़ुरान और अपने एहद का पूरा करने वाला ख़़ुदा से बढ़कर कौन है तुम तो अपनी ख़रीद फरोख़्त से जो तुमने ख़़ुदा से की है खुषियाँ मनाओ यही तो बड़ी कामयाबी है (९:111)

Monday, November 12, 2012

Do Not Flaunt Others Fault


Don’t Flaunt Faults of Others
Once when Al-Kisai and Al-Yazidi were gathered before the ruler, Ar-Rashid, the time for Maghrib prayer set in, and they had to choose someone among them to lead the prayer. It wasn't a difficult choice, for Al Kisai was a well-known reciter of the Qur'an: until this very day, he is known as one of the Seven Famous Reciters. After the prayer commenced and after he finished reading the "Opening Chapter" of the Qur'an, Al-Kisai then proceeded to recite "The Disbelievers Chapter":
"Say:  (0 Muhammad to these disbelievers):  "0 Al- - - - .”- Kafirun '(disbelievers in Allah, in His Oneness, and in His Angels, in His Books, in His Messengers, in the Day Of Resurrection, and in Al-Qadar, etc.)!" (Qur'an 109: 1)



Although this is one of the shortest chapters of the Qur'an and one that is memorized by most young children, Al Kisai made a mistake in his recitation of it. When the prayer was over, Al-Yazidi exclaimed, exhibiting a great deal of surprise, "The Reciter and Imam of Kufa being confused about, making a mistake in, and forgetting the



'Chapter of the Disbelievers!":
When it came time to perform the 'lsha prayer later in the night, Al-Yazidi did not wait but instead put himself forward to lead the people in prayer. As soon as the prayer commenced, his voice ' began to tremble, and he forgot that Chapter of the Qur'an which is easiest to remember of all, "The Opening Chapter":
"All the praises and thanks be to Allah, the Lord (If all that exists" (Qur'an 1: 1).
When the prayer was over, Al-Kisai turned to Al-Yazidi and said, "Hold back your tongue and do not speak, or else you will be put to trial. Indeed, it is guaranteed for one to be put to trial when he opens his mouth [to flaunt the faults of others]."